जल टूटता हुआ : उपन्यास में पारिवारिक संबंधों
सृष्टी के आरंभ से ही यह देखा गया है कि जीव- सृष्टी का विकास धीरे – धीरे होने लगा । प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक डार्विन के उत्क्रांतिवाद के सिद्धांतानुसार मानवों का विकास वाअर से हुआ है । आरंभ में मानवजाति जंगली अवस्था में अकेली रहती थी । धीरे – धीरे जब उन्हें भय लगने लगा तो वे संगठित होने लगे सुरक्षा ओर सहानुभूति की आवश्यकता पडी तो ये एकत्र होकर साथ रहने लगे । फिर धीरे – धीरे मैथुन एवं प्रेम के कारण ये ओर छोटे- छोटे गुटों में रहने लगे । यही से परिवार की भावना ने जन्म लिया ।
रामचन्द्र वर्मा द्रारा लिखित ‘हिन्दी शब्द सागर’ में परिवार के कई अर्थ बताये है। जैसे-
“ एक ही कुल में उत्पन्न मनु*यों का समूह ।
कुटुम्ब , खानदान , कुल
एक स्वाभाव या धर्म की वस्तुअओं का समूह ।
परिजनो का समूह । आदि ”
परिवार शब्द के विभन्न अर्थो को देखते हुए इतना तो स्पष्ट होता है कि एक से अधिक व्यकितयों का साथ में रहना परिवार की संज्ञा मैं आता है। परिवार मानव समाज की अति प्रचीन संस्था है इसलिए प्रत्येक युग में , प्रत्येक प्रकार के मानव समाजो में परिवार का अस्तिव रहा हैं । साहित्य समाज का दर्पण है। इसलिए साहित्य मैं समाज के सभी रूपों का वर्णन मिलता है। हिन्दी उपन्यासों में भारतीय परिवार का क्षेत्र बडा विशाल हैं। उपन्यासों में चित्रित भारतीय परिवार में केवल घनिष्ठ रक्तसंबंद्धो को ही नहीं स्विकार किया गया, बल्कि समस्त परिजनों को , पुरजनों तक को भी स्विकार किया गया है , ईन्हें परिवार का एक अगं माना गया है। हिन्दी उपन्यासों में भारतीय परिवार की सभी विशिष्टाताए चित्रित होती आई है । जैसे- भारतीय परिवार के विविध आचार-विचार , पंरपराए , लोक रीतिया एवं धार्मिक उत्सव आदि । इतना ही नहीं भारतीय परिवार के संयुक्त एवं विभक्त परिवारो का चित्रण भी हुआ है । इसका कारण यह है कि उपन्यासकार अपने समाज, परिवार एवं आस-पास के परिवेश से प्रभावित होता है । रामदरश मिश्र एसे ही एक सामाजिक उपन्यासकार है।
रामदरश मिश्रजी ने ग्रामिण जीवन के सामाजिक पक्ष के अंतर्गत ग्रामिण लोगों का पारिवारिक जीवन अपने कथा साहित्य में चित्रित किया है । वर्तमान स्थिति में संयुक्त परिवारों के टूटने से पति – पत्नी , माता-पिता , पिता- पुत्र , माता-संतान , भाई-भाई, भाई-बहन , चाचा-भतीजा आदि के संबंधों में विघटन हो रहा है। संयुक्त परिवारों के लिए यह समस्या बहुत बडी बाधा बनती जा रही है । रामदरश मिश्रजी ने इस भयंकर समस्या पर ‘जल टूटता हुआ’ उपन्यास लिखा है। इस उपन्यास संबंधों का विघटन किस तरह होता है उसका वर्णन किया है।
पति – पत्नी के संबंधों :
‘जल टूटता हुआ’ उपन्यास के दीनदयाल ओर महाबल भाई-भाई थे। महाबल की पत्नी ओर दीनदयाल में अनैतिक संबंध थे । एक दिन महाबल ने दोनों को रंगे हाथ पकडा ओर क्रोध में पत्नी की हत्या की ओर भाई को घायल किया । महाबल भाग रहा तो पुलिस की गोली का शिकार हो गया । उनके बच्चे अनाथ हो गये । पति – पत्नी परिवार की आधारशिला है किंतु अब उनमें द्रेष भावना , व्यभिचार , स्व के अस्तित्व के भाव निर्माण हो रहे है ओर उनमें झगडें हो रहे है । मिश्रजी ने पति – पत्नी में होनेवाले विघटन का वास्तविक चित्रिण किया है।
भाई-भाई के संबंधों :
परिवार में भाई-भाई एक दुसरे के प्रति प्रेम , द्या , ममता , आत्मीयता , विश्वास एंव अपनेपन से रहने से परिवार आदर्श बनता है। ‘जल टूटता हुआ’ उपन्यास में धनपाल अपने छोटे भाई बनवारी के भोले स्वभाव का लाभ उठाकर उसके परिवार की उपेक्षा करते है। ईससे दोनो भाईयों में झगडे हो गए , जमीन-जायदात का बँटवारा हो गया ओर दोनो अलग रहने लगे । ‘जल टूटता हुआ’ उपन्यास में भाई-भाई के संबंधों का यथार्थ चित्रण किया है। भाई-भाई के संबंधों में जमीन-जायदात , स्वार्थ , द्रेष ओर महत्वाकाक्षा से उनके रिस्तों में द्र्रारे पडने लगी हैं।
चाचा-भतीजे के संबंधों :
भारतीय संयुक्त परिवार में चाचा-भतीजा के रिस्तों को भी महत्वपूर्ण माना गया हैं। ‘जल टूटता हुआ’ उपन्यास में दीनदयाल ओर कुंजु चाचा-भतीजा है। दीनदयाल स्वार्थी हैं । उसने षडयंत्र से कुंजु को उसकी प्रयेसी के घर भैज दिया ओर दरोगा को बुलाकर रंगे हाथ पकडाकर फसा दिया । उसी समय अपने गुंडो से उसका खेत कटवा दिया । इस तरह चाचा-भतीजा के रिस्तों विघटन हो जाता है ।
समग्रत; कहा जा सकता है कि ‘जल टूटता हुआ’ उपन्यास में मिश्रजी ने पारिवारिक जीवन में आज अधिकाधिक घुटन ओर तनाव से पति – पत्नी, माता-पिता , पिता- पुत्र , माता-संतान , भाई-भाई, भाई-बहन , चाचा-भतीजा तथा परिवार के अन्य सद्स्यों में स्वार्थ, ईषर्या , महत्वाकाक्षा , अहंभाव , ह्वस आदि से नाजुक ओर प्रवित्र रिश्तें टूटकर परिवार का विघटन होता हुआ दिखाई देता है । इसका वास्तविक चित्र आलोच्य उपन्यास में देखने को मिलता है।
संदर्भ-सूचि::
1.‘जल टूटता हुआ’ उपन्यास - रामदरश मिश्रजी ।
2. उपेन्द्रनाथ के उपन्यास साहित्य में पारीवारिक चित्रण – भगवानभाई जे सोंलकी ।
3. मोहन राकेश के साहित्य में पारीवारिक संबंधों की विघटन की स्थितियाँ - डो. श्रीमति सुनिता श्रीमाल ।
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प्रा.अनसुयाबहन अे गामित
M.A., B.Ed., NET हिन्दी
सरकारी विनयन एवं वाणिज्य कोलेज, काछल |